DMCA.com Protection Status बच्चों में 5 लक्षण दिखें तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास, हो सकती है ऑटिज्म की बीमारी, शुरुआती प्रयास से राह बनेगा आसान – News Market

बच्चों में 5 लक्षण दिखें तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास, हो सकती है ऑटिज्म की बीमारी, शुरुआती प्रयास से राह बनेगा आसान

बच्चों में 5 लक्षण दिखें तो तुरंत जाएं डॉक्टर के पास, हो सकती है ऑटिज्म की बीमारी, शुरुआती प्रयास से राह बनेगा आसान


Symptoms of Autism: आमिर खान की फेमस पिक्चर है तारे जमीन पर. इस फिल्म में पात्रा ईशान अवस्थी को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उसे ऑटिज्म की बीमारी है. लेकिन उसे ऑटिज्म था. उसी तरह फिल्म ‘बर्फी’ में प्रियंका चोपड़ा का जो किरदार था, वह भी ऑटिज्म से पीड़ित थी. ऑटिज्म दिमाग के विकास से संबंधित एक व्यवहारगत स्थिति है जिसमें बच्चा किसी दूसरों से हिलने-मिलने में बहुत असहज महसूस करता है. ऑटिज्म की बीमारी में बच्चा हमेशा डरा-सहमा रहता है. यह ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चा एक ही तरह की कुछ हरकतें करता रहता है. बच्चे को सामाजिक मेल-जोल से बेहद परेशानी होती है. मुश्किल यह है कि जब बच्चा बड़ा हो जाता है तब भी यही स्थिति रहती है. लेकिन शुरुआत में अगर ध्यान दिया जाए तो इससे आगे की राह बहुत आसान हो जाती है.

क्या है ऑटिज्म की बीमारी

मायो क्लिनिक की रिपोर्ट के मुताबिक ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग में एक जन्मजात विकार पैदा हो जाती है. इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रक डिसऑर्डर कहते हैं. इसमें बच्चे को दूसरे से किए जाने वाले व्यहार, सामाजिक संपर्क और मेलजोल में समस्याएं पैदा होती है. ऑटिज्म में कई तरह के लक्षण एक साथ दिखते हैं इसलिए इसमें स्पेक्ट्रम शब्द को जोड़ा गया है. पहले बच्चों को होने वाले कई विकारों जैसे कि ऑटिज्म, एस्पर्जर सिंड्रोम, चाइल्डहूड डिसेंटीग्रेटिव डिसऑर्डर को अलग-अलग विकार माना जाता था लेकिन अब इन सबको ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है.

कब से होती है ऑटिज्म की शुरुआत

ऑटिज्म की शुरुआत कुछ बच्चों में एक साल से ही हो जाती है. लेकिन 18 से 24 महीनों के बीच ऑटिज्म के स्पष्ट संकेत देखने को मिलने लगते हैं. ऐसी स्थिति में इसी अवधि के दौरान अगर पहचान हो जाए तो आगे इस बीमारी पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है.

ऑटिज्म के लक्षण

  • 1. अपने धुन में खोया रहना-ऑटिज्म की बीमारी में बच्चे अपने धुन में मस्त रहते हैं. एक ही जैसे काम करते हैं. अगर कोई नाम से भी बुलाता है तो इस पर प्रतिक्रिया नहीं देता. वह धुन में खोया रहता है.
    2. सीखने में दिक्कत-ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे को दूसरे काम सीखने में बहुत दिक्कत होती है. लाख कोशिश के बावजूद भी वह नई चीजें सीख नहीं पाता. लेकिन कुछ बच्चों में सीखने की गजब की क्षमता होती है.
    3. आंखें न मिला पाना-जब बच्चा एक साल की उम्र का होता है तो वह दूसरे से आंख मिलाने से कतराते रहता है. हालांकि अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग तरह से लक्षण देखने को मिलते हैं.
    4. बौद्धिकता की कमी या ज्यादा-कुछ बच्चों में सामान्य से कम बौद्धकता हो सकती है. हालांकि कुछ बच्चों में सामान्य से बहुत अधिक इंटेलीजेंसी भी होती है. ऐसे बच्चे बहुत जल्दी सीख लेते हैं लेकिन इसे दूसरों को समझा नहीं पाते क्योंकि दूसरों से संपर्क करने में परेशानी होती है.
  • 5.सामान्य गतिविधियों में दिक्कत-कुछ बच्चों में सामान्य कामकाज करने में भी दिक्कत होती है. वह अपना दैनिक काम भी सही से नहीं कर पाता है.
  • 6.रोबोट की तरह आवाज-कुछ बच्चों को बोलने में भी दिक्कत होती है. वह रोबोट की आवाज की तरह बोलने लगताा है. फिल्म बर्फी में प्रियंका चोपड़ा इसी तरह बोलती थी.

इलाज कैसे किया जाता है

ऑटिज्म का शत प्रतिशत इलाज नहीं है लेकिन यदि शुरुआत में डॉक्टर के पास ले जाया जाए तो इस विकृति को बहुत हद तक मैनेज किया जा सकता है. प्रीस्कूल से ही इसपर ध्यान दिया जाना जरूरी है. इसके लिए कई मोर्चे पर इलाज की आवश्यकता होती है. माता-पिता और फैमिली को भी ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा स्कूल में अलग तरह से ट्रीट किया जाता है. डॉक्टर साइकलॉजिक थेरेपी देते हैं. कुछ दवाइयां भी दी जाती है. इसलिए अगर इन लक्षणों को अपने बच्चों में देखें तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.

Tags: Health, Health tips, Lifestyle, Trending news



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *