DMCA.com Protection Status अपना पेशाब पीने या शरीर पर मलने से ठीक हो जाती है बीमारी! स्‍वमूत्र चिकित्‍सा सच में है कारगर? जान लें एक्‍सपर्ट की राय – News Market

अपना पेशाब पीने या शरीर पर मलने से ठीक हो जाती है बीमारी! स्‍वमूत्र चिकित्‍सा सच में है कारगर? जान लें एक्‍सपर्ट की राय

अपना पेशाब पीने या शरीर पर मलने से ठीक हो जाती है बीमारी! स्‍वमूत्र चिकित्‍सा सच में है कारगर? जान लें एक्‍सपर्ट की राय

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Self Urine therapy facts: हाल ही में स्‍पेन की एक महिला ने यह दावा कर हंगामा मचा दिया कि वह रोजाना अपनी आंखों में आई ड्रॉप की तरह अपना खुद का पेशाब डालती है. इससे उसकी आंखों बीमारियां मायोपिया और एस्टिग्मैटिज़्म बिल्‍कुल ठीक हो गईं. उसने टिकटॉक वीडियो पर इसकी जानकारी दी तो लोग हैरान रह गए. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भारत के चौथे प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई ने भी जब बताया था कि स्‍वमूत्र चिकित्‍सा पर भरोसे के चलते वह रोजाना सुबह पेशाब पीते हैं तो लोगों को यह बात हजम नहीं हुई थी. स्‍वामी अग्निवेश ने भी एक बाार बताया था कि उन्‍होंने अपनी बिस्‍तर गीला करने की आदत स्‍वमूत्र के सेवन से ठीक की थी. उन्‍होंने कहा कि यह घृणास्‍पद लग सकता है लेकिन उन्‍होंने किताबों में पढ़ने के बाद कई साल तक इसका अभ्‍यास किया है.

बताया जाता है कि ब्रिटिश नेचुरोपैथ जॉन डब्‍ल्‍यू आर्मस्‍ट्रॉंग सहित अन्‍य कई लोगों ने भी यूरिन थेरेपी के बारे में बताया था और पेशाब को चेहरे पर मलने या पीने तक की सलाह दी थी. पेशाब या स्‍वमूत्र से चिकित्‍सा को लेकर तमाम दावे हैं लेकिन हकीकत क्‍या है, आइए जानते हैं….

यूरिन थेरेपी, मूत्र थेरेपी या स्‍वमूत्र चिकित्‍सा को शिवंबू कल्‍प या शिवंबू चिकित्‍सा के नाम से भी जाना जाता है. भारत के अलग-अलग हिस्‍सों में अलग-अलग नामों से जानी जा रही इस चिकित्‍सा को लेकर कहा जाता है कि अगर रोजाना अपना मूत्र पीया जाए तो इससे कई बीमारियां जड़ से खत्‍म हो जाती हैं, उम्र लंबी और रोग रहित होती है. वहीं मूत्र को अन्‍य तरीकों से भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है.

चीन में भी यूरिन थेरेपी का क्रेज
सिर्फ भारत ही नहीं चीन में भी यूरिन पीने के कई मामले सामने आ चुके हैं. चीन की एक संस्‍था चीन यूरिन थेरेपी एसोसिएशन इसी बात के लिए जानी जाती है. वुहान शहर में स्थित यह संस्‍था लोगों को खुद का पेशाब पीने के लिए प्रेरित करती है और कहती है कि इससे आंख, गंजापन, कब्‍ज, घाव आदि कई बीमारियां ठीक होती हैं और चेहरे पर भी निखार आता है. 2008 में बनी इस संस्‍था से करीब 1000 लोग जुड़े थे और स्‍वमूत्र का सेवन करते थे, हालांकि चीन हेल्‍थ डिपार्टमेंट ने इसे आधिकारिक तौर पर मान्‍यता नहीं दी है.

क्‍या कहती है नेचुरोपैथी?
फरीदाबाद के प्राकृतिक चिकित्‍सक मेहेर सिंह कहते हैं कि भारत के आयुर्वेद सहित कई शास्‍त्रों में 8 प्रकार के मूत्र का इस्‍तेमाल चिकित्‍सा के लिए बताया गया है, इनमें एक मानव मूत्र भी है. आज भी गांवों में कई बुजुर्ग महिलाएं ऐसे कई स्‍वमूत्र नुस्‍खे बच्‍चों से लेकर बड़ों के इलाज के लिए अपनाती हैं. स्‍वमूत्र चिकित्‍सा को लेकर पुराने ग्रंथों में तो वर्णन है लेकिन वर्तमान में बहुत रिसर्च या स्‍टडीज इस पर नहीं हुई हैं.

आयुर्वेद में तमाम दावे लेकिन विशेषज्ञ… 

वहीं गुरुग्राम स्थित आयुर्वेदाचार्य, एमडी सुनील आर्य कहते हैं क‍ि स्‍वमूत्र से इलाज करने का तरीका काफी पुराना रहा है. इसको लेकर क्‍लेम भी हैं, बहुत सारी सक्‍सेज स्‍टोरीज भी हैं. लोग इसके इस्‍तेमाल से ठीक भी हुए हैं लेकिन ऐसा कोई साइंटिफिक डेटा मौजूद नहीं है. जहां तक यूरिन की बात है तो एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति का यूरिन सेलाइन वॉटर होता है, इसमें कोई इन्‍फेक्‍टेड मेटेरियल नहीं होता. उसमें गंदगी जैसा भी कुछ नहीं होता. इसी तरह मल भी सेलाइन होता है, उसमें भी संक्रामक जैसा कुछ नहीं होता. ऐसे में संभव है कि यह कुछ औषधियों में इस्‍तेमाल हो सकता है, डॉक्‍टरी सलाह से औ‍षधि के रूप में इसे लिया जा सकता है लेकिन इसे सामान्‍य रूप से इस्‍तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती.

सभी को कह दिया जाए कि अपना मूत्र पीएं और स्‍वस्‍थ रहें तो यह ठीक नहीं है. अगर किसी व्‍यक्ति को कोई संक्रमण है तो उसके मूत्र में निश्चित ही वह आएगा तो उससे लाभ के बजाय हानि हो जाएगी. इसके अलावा समाज में इसका प्रचलन नहीं हो सकता क्‍योंकि मल और मूत्र दोनों त्‍याज्‍य होते हैं. गौ मूत्र के लिए ही लोग तैयार नहीं होते हैं तो स्‍वमूत्र के लिए तो और भी दिक्‍कतें हैं. अब मूत्र को औषधि मानकर रसोई में तो नहीं रख सकते. यही वजह है कि स्‍वमूत्र चिकित्‍सा के कई दावे होने के बावजूद इसपर काम कम हो रहा है क्‍योंकि इसकी एक्‍सेप्‍टेंस होना भारत में मुश्किल है.

ऐलोपैथी नहीं करती स्‍वमूत्र चिकित्‍सा को फेवर.. 

गुरुग्राम के मारेंगो एशिया अस्‍पताल में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्‍लांट मेडिसिन चेयरमैन और एम्‍स नई दिल्‍ली के पूर्व एचओडी नेफ्रोलॉजी डॉ. संजय अग्रवाल कहते हैं कि स्‍वमूत्र चिकित्‍सा को लेकर आयुर्वेद के क्‍या दावे हैं, इस पर कुछ नहीं कह सकते लेकिन एक बात समझनी चाहिए कि साइंस के अनुसार मल और मूत्र अवशिष्‍ट पदार्थ होते हैं और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए इनका शरीर से बाहर निकलना बेहद जरूरी है. जो चीज प्राकृतिक रूप से शरीर से बाहर जाने के लिए बनी है, उसे वापस शरीर में डालना कैसे ठीक हो सकता है.

जहां तक स्‍वमूत्र को किसी दवा में इस्‍तेमाल करने की बात है तो ऐसा एक प्रोसेस के तहत किया जाता है. यूरिन में भी कुछ चीजें मौजूद होती हैं जिन्‍हें अलग करके साइंटिफिक विधि से दवा के रूप में तैयार किया जाता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि यूरिन को ही पीने लगें. सांप का जहर भी कई दवाओं को बनाने में इस्‍तेमाल होता है लेकिन अगर कोई सांप को ही खाने लगे तो क्‍या होगा. इसलिए यूरिन थेरेपी या स्‍वमूत्र चिकित्‍सा को लेकर ऐलोपैथी फेवर नहीं करती है.

Tags: Health News, Lifestyle

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