DMCA.com Protection Status सोते समय पैरों में क्यों होने लगती है ऐंठन? कोई बीमारी है या किसी विटामिन की कमी, डाक्टर से जानें सही बात – News Market

सोते समय पैरों में क्यों होने लगती है ऐंठन? कोई बीमारी है या किसी विटामिन की कमी, डाक्टर से जानें सही बात

सोते समय पैरों में क्यों होने लगती है ऐंठन? कोई बीमारी है या किसी विटामिन की कमी, डाक्टर से जानें सही बात

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Restless Leg Syndrome: ज्यादातर लोगों को रात में सोते समय पैरों में खुजली के साथ ऐंठन, झुनझुनी या पैरों के अंदर कुछ रेंगने जैसा एहसास होता है. कई बार तो ये ऐंठन तेज दर्द में भी बदल जाता है. इस स्थिति को ‘रेस्टलेस लेग सिंड्रोम’ यानी आरएलएस कहा जाता है. यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है. वैसे तो इस सिंड्रोम के सही कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन फिर भी माना जाता है कि यह डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन के कारण होता है.

रात के वक्‍त क्रैंप की वजह, लंबे समय तक डेस्‍क जॉब, मसल्‍स को अत्‍यधिक इस्‍तेमाल करने, कॉन्क्रीट फर्श पर चलने, खराब पोश्‍चर, किडनी फेलियर, डायबिटिक नर्व डैमेज, मिनरल की कमी, ब्‍लड फ्लो की समस्‍या के कारण भी हो सकता है. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम 30 से 60 मिनट तक बना रहता है. इस परेशानी से बचने के लिए शरीर में कुछ विटामिन का उचित मात्रा में होना बेहद जरूरी है. आइए नोयडा के इंटीग्रेटिड चिकित्सक डॉ. संजय वार्ष्णेय से जानते हैं पैरों में ऐंठन की बीमारी का कारण और कैसे करें बचाव-

सोते समय पैरों में ऐंठन पर ऐसे करें बचाव

विटामिन बी: डॉ. संजय वार्ष्णेय बताते हैं कि, विटामिन बी की कमी रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के खतरे को बढ़ा सकती है. ऐसे में जरूरी है आप विटामिन बी6 और बी12 का भरपूर सेवन करें. विटामिन बी12 पाने के लिए अपनी डाइट में संतरा, अंगूर, सेब और कीवी जैसे खट्टे फलों और डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें. इसी के साथ मांस में भी विटामिन बी12 भरपूर मात्रा में पाया जाता है. वहीं विटामिन बी6 के लिए खमीर वाले खाद्य पदार्थ, साबुत अनाज, मछली और फलियों का सेवन करें.

विटामिन सी: डॉक्टर के अनुसार, जो लोग किडनी की किसी समस्या से परेशान हैं, उनमें रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में विटामिन सी का भरपूर मात्रा में सेवन करने से किडनी को स्वस्थ और आरएलएस को नियंत्रित रखा जा सकता है. विटामिन सी के लिए अपनी डेली डाइट में नींबू, संतरा, आंवला, नारंगी, टमाटर, अंगूर जैसे खट्टे फल शामिल करें. साथ ही अमरूद, केला, सेब, मुनक्का, चुकंदर आदि का सेवन करना चाहिए.

विटामिन डी: डॉक्टर की मानें तो विटामिन डी की कमी से डोपामाइन डिसफंक्शन हो सकता है, जिसके कारण आरएलएस का जोखिम बढ़ सकता है. इसलिए विटामिन डी का सेवन करें. सुबह की धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है. इसी के साथ दूध, साबुत अनाज, संतरा, बेरीज, फैटी फिश, फिश ऑयल, मशरूम में भी विटामिन डी पाया जाता है.

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विटामिन ई: एक्सपर्ट के मुताबिक, किडनी की बीमारी आरएलएस रोग को ट्रिगर करती है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी किडनी की सेहत का खास ध्यान रखें. विटामिन ई क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित लोगों के लिए महत्वपूर्ण है. बादाम और सूरजमुखी के बीज विटामिन ई से भरपूर होते हैं. वहीं पालक, एवोकाडो, टमाटर, कीवी, कद्दू, मूंगफली में भी विटामिन ई पाया जाता है. इनका नियमित सेवन आपके लिए सेहतमंद रहेगा.

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Tags: Health News, Health tips, Lifestyle

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