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WHO-ओआरएस के धोखे में आप तो नहीं पी रहे ORSL फ्रूट जूस, जान लें दोनों में अंतर, डायरिया में कितना है नुकसानदेह?

WHO-ओआरएस के धोखे में आप तो नहीं पी रहे ORSL फ्रूट जूस, जान लें दोनों में अंतर, डायरिया में कितना है नुकसानदेह?

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हाइलाइट्स

डायरिया के लिए डब्‍ल्‍यूएचओ-ओआरएस फॉर्मूला पाउडर सबसे बेहतर है.
हेल्‍थ एक्‍सपर्ट का कहना है कि आजकल बाजार में ओआरएस के नाम पर हाई शुगर जूस भी बेचे जा रहे हैं.

WHO-ORS vs ORSL: दस्‍त या डायरिया होने पर चाहे बच्‍चे हों या बड़े डॉक्‍टर सभी को दवा से भी पहले डब्‍यूएचओ ओआरएस घोल पिलाने के लिए कहते हैं ताकि मरीज के शरीर में पानी की कमी न हो. यही वजह है कि बिना डॉक्‍टर को दिखाए भी लोग मेडिकल स्‍टोर्स पर जाकर ओआरएस खरीद लाते हैं लेकिन क्‍या आप भी अक्‍सर सामान्‍य इलेक्ट्रल पाउडर या WHO-ORS की जगह फ्रूटी और रियल फ्रूट जूस की तरह आने वाला ओआरएसएल या रीबेलेंजविट ओआरएस खरीद लाते हैं? क्‍या आपको भी कैमिस्‍ट स्‍टोर पर बैठे दुकानदार टेट्रा पैक वाला फ्लेवर्ड ओआरएसएल थमाकर कहते हैं कि यह ज्‍यादा अच्‍छा है और बच्‍चा आराम से पी लेगा?

अगर आप भी ज्‍यादा पैसा खर्च कर एपल या ऑरेंज फ्लेवर वाला ओआरएसएल या रीबेलेंजविट ओआरएस खरीद रहे हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है. टेट्रा पैक में मिलने वाला ये ORSL घोल आपको या डायरिया से जूझ रहे आपके बच्‍चे को फायदे के बजाय नुकसान भी पहुंचा सकता है. यह कहना है हैदराबाद की जानी-मानी पीडियाट्रिशियन डॉ. शिवरंजिनी संतोष का.

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डॉ. शिवरंजिनि ओआरएस के नाम पर बेचे जा रहे ओआरएसएल जैसे ड्रिंक्‍स के खिलाफ लंबे समय से अभियान चला रही हैं और लोगों को जागरुक कर रही हैं कि जिसे आप डब्‍ल्‍यूएचओ का फॉर्मूला समझकर पी रहे हैं वह ऑरिजिनल नहीं है. साथ ही इसमें ज्‍यादा मात्रा में शुगर भी है जो डायबिटिक या प्री डायबिटिक मरीजों के लिए नुकसानदेह है.

डॉ. शिवरंजिनि कहती हैं कि भारत में डायरिया 5 साल से कम उम्र के बच्‍चों की मौत का तीसरा सबसे प्रमुख कारण है. यहां बच्‍चों को उल्‍टी-दस्‍त होता है और शरीर में डिहाइड्रेशन की वजह से बच्‍चों की जान चली जाती है.

ओआरएस और ओआरएसल में क्‍या है अंतर?

डॉ. संतोष कहती हैं कि ORS का मतलब है ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्ट या सॉल्‍यूशन. इसमें सोडियम, पोटेशियम, ग्‍लूकोज और पानी का मिक्सचर होता है. इसके लिए वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन ने कड़े रिसर्च के बाद तय मानकों के तहत तैयार किया है. यह आमतौर पर डायरिया यानि दस्‍त, उल्‍टी और शरीर में पानी की कमी होने पर हाइड्रेट रखने और शरीर में इलेक्‍ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने के लिए दिया जाता है.

जबकि ORSL या रीबेलेंजविट ओआरएस एक तरह का फ्रूट फ्लेवर्ड जूस है जिसे इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक कहकर बेचा जा रहा है. इस तरह के जूस कई ब्रांड्स में उपलब्‍ध हैं. इसके डिब्‍बे पर अगर इंग्रीडिएंट्स देखेंगे तो पाएंगे कि इसमें पानी, हाई शुगर, सुक्रोज, डेक्सट्रोज, एप्पल या ऑरेंज जूस कंसेन्ट्रेट, एडेड फ्लेवर्स, आर्टिफिशियल फ्लेवर, सोडियम साइट्रेट, पोटैशियम क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड और विटामिन C आदि मिले होते हैं. अक्‍सर कैमिस्‍ट के द्वारा इन्‍हें बेचते वक्‍त कहा जाता है कि ये भी ओआरएस ही हैं और बच्‍चों के लिए ज्‍यादा अच्‍छे हैं क्‍योंकि बच्‍चे इन्‍हें जूस समझकर पी लेते हैं.

क्‍या हो सकता है नुकसान?
डॉ. शिवरंजिनि कहती हैं, बस यही चीज गलत हो रही है. जिसे भी डायरिया है उसे ओआरएसएल नहीं पीना चाहिए. अगर डायरिया में ये स्‍वीट जूस पीया जाता है तो इससे डायरिया सही होने के बजाय और खराब हो सकता है. शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो सकती है. डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों की भारी नुकसान हो सकता है क्‍योंकि इसमें स्‍वीटनर के तौर पर सैकरीन या एसपार्टम जैसी नुकसानदेह चीजें मिली होती हैं.

डायरिया में ORS लेना क्‍यों है जरूरी?
डॉ. शिवरंजिनि कहती हैं कि डब्‍ल्‍यूएचओ ओआरएस फॉर्मूला काफी रिसर्च और स्‍टडी के बाद तैयार हुआ है. इसमें ट्राईसोडियम सिट्रेट डिहाइड्रेट, सोडियम क्‍लोराइड, पोटैशियम क्‍लोराइड और एनहाइड्रस ग्‍लूकोज की एक सबसे सही मात्रा होती है. जबकि बाकी ड्रिंक्‍स में ऐसा नहीं देखा गया है. बाकी ओआरएस के नाम पर बेची जा रही बाकी ड्रिंक्‍स में शुगर कंटेन ज्‍यादा होता है. इसलिए हमेशा डायरिया में डब्‍ल्‍यूएचओ ओआरएस फॉर्मूला ही लेना चाहिए.

क्‍या कहते हैं अन्‍य हेल्‍थ एक्‍सपर्ट
हालांकि दिल्‍ली के सीताराम भारतीय इंस्‍टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च में वरिष्‍ठ पीडियाट्रिशियन डॉ. जितेंद्र नागपाल कहते हैं कि बाजार में मिल रहे तमाम तरह के टेट्रा पैक वाले इलेक्‍ट्रोलाइट ड्रिंक्‍स, जिन्‍हें ओआरएस के नाम पर बेचा जा रहा है, उनमें संभव है कि शुगर की मात्रा हाई हो लेकिन वे नुकसानदेह ही हैं, ये कहना संभव नहीं है. जब भी डायरिया होता है तो शरीर को रीहाइड्रेट करने के लिए लिक्विड का पहुंचना बहुत जरूरी होता है. कई कैंपों में यह बात लोगों को बताई जाती है कि अगर ओआरएस पाउडर नहीं मिल पा रहा है तो डायरिया के मरीज को तत्‍काल पानी में एक तय मात्रा में नमक और चीनी घोलकर पिला दें. हालांकि ये ड्रिंक्‍स डब्‍ल्‍यूएचओ ओआरएस फॉर्मूला से कीमत में महंगे होते हैं. इसलिए बेस्‍ट तो यही है कि डायरिया में डब्‍ल्‍यूएचओ रिकमंडेड फॉर्मूला का ओआरएस ही लें.

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