DMCA.com Protection Status पाताल के अंदर ही घुस गया है हानिकारक केमिकल, दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंतित, शरीर में घुलकर देता है घातक बीमारियां – News Market

पाताल के अंदर ही घुस गया है हानिकारक केमिकल, दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंतित, शरीर में घुलकर देता है घातक बीमारियां

पाताल के अंदर ही घुस गया है हानिकारक केमिकल, दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंतित, शरीर में घुलकर देता है घातक बीमारियां

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Water Sources contain Forever Chemical: दुनिया भर के अधिकांश पानी के स्रोत में ही हानिकारक केमिकल पीएफएएस यानी (poly-fluoroalkyl substances-PFSA) का स्तर बढ़ गया है. इससे दुनिया भर के वैज्ञानिक चिंतित है. पीएफएएस को फोरएवर केमिकल भी कहते हैं जो आग, पानी, ग्रीस, दाग छुड़ाने वाले केमिकल किसी से नहीं हटता. यानी एक बार यदि यह पर्यावरण में पहुंच गया वहां से इसका निकलना मुश्किल हो जाता है. इस केमिकल का इस्तेमाल फूड पैकेजिंग, कपड़ा बनाने, नॉन-स्टिक फ्राई पैन, कॉस्मेटिक चीजें, कारपेट आदि बनाने में इस्तेमाल होता है. यह एक तरह का टॉक्सिन है. ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी ने अपने अध्ययन में पाया है कि दुनिया भर के ग्राउंड वाटर में पीएफएएस पहुंच गया है और यह पानी के माध्यम से शरीर में घुस सकता है. इससे पहले एक अमेरिकी रिसर्च में भी पाया गया था कि ड्रिकिंग वाटर में भी पीएफएस की मात्रा मानक से कहीं ज्यादा है. पीएफएएस के इंसान पर घातक प्रभाव हो सकता है. इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है और शरीर में एंजाइम और हार्मोन का स्तर भी गड़बड़ा सकता है.

मानक से 5 प्रतिशत ज्यादा
स्टडी में पाया गया कि पीएफएएस खतरनाक स्तर से ज्यादा ग्राउंड वाटर में मौजूद है. यह सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि दुनिया में पानी के अधिकांश स्रोतों में मौजूद है. इससे पहले के अध्ययन में पाया गया था कि पीएएफएएस कैंसर का कारण भी बन सकता है. प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर डेनिस ओ कॉरेल ने बताया कि हमारे पास जितने भी पानी के स्रोत हैं उनमें से अधिकांश में पीएफएएस का लेवल मानक से कहीं ज्यादा है. उन्होंने कहा कि हम यह बात पहले से जानते हैं कि पीएएफएएस यदि एक बार पर्यावरण में आ गया तो यह कहीं भी सर्वव्यापी हो जाता है लेकिन जमीन के नीचे पाताल में इसका पहुंचना आश्चर्यजनक लगा. खासकर उस स्थिति में जब यह आवश्यक मात्रा से कहीं ज्यादा ग्राउंड वाटर में मौजूद है. स्टडी में यहां तक पाया गया कि ग्राउंड वाटर में मानक से 5 प्रतिशत तक ज्यादा पीएफएएस था. वहीं कुछ मामलों में तो यह 50 प्रतिशत तक पहुंच गया.

बोतलबंद पानी की सलाह नहीं
अध्ययन में पाया गया कि पीएफएएस की मात्रा ग्राउंड वाटर ड्रिंकिंक वाटर से कहीं ज्यादा डैम में पाया गया. डैम का इस्तेमाल अधिकांशतः पानी को जमा कर इससे बिजली या सिंचाई बनाने के काम आता है. हालांकि अच्छी बात यह है कि फिलहाल ड्रिकिंग वाटर में पीएफएएस उतना नहीं पाया गया और यह फिलहाल शेफ है. इससे कोई खतरा नहीं है. लेकिन बड़े पैमाने पर यह बड़े-बड़े डैमों में मौजूद है जिसके रिसकर पाताल में पहुंचने की आशंका है जो बाद में खतरा पैदा कर सकता है. प्रोफेसर ओ केरॉल ने बताया कि ड्रिंकिंक वाटर तो शेफ है लेकिन मैं बोतलबंद पानी पीने की सलाह कतई नहीं दूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि यह नल के पानी की तुलना में कुछ भी अलग नहीं होगा. लेकिन मेरे विचार में पीएएफएएस के लेवल की समय-समय पर निगरानी करना ज्यादा जरूरी है.

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Tags: Health, Health News, Lifestyle

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