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जो काम दवा न कर पाए, वह 2 इंच की लकड़ी कर देगी ! सैकड़ों सालों से हो रही इस्तेमाल

जो काम दवा न कर पाए, वह 2 इंच की लकड़ी कर देगी ! सैकड़ों सालों से हो रही इस्तेमाल

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हाइलाइट्स

अर्जुन की छाल का इस्तेमाल कई बीमारियों से निजात पाने के लिए किया जाता है.
लोगों को इस छाल का यूज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

Health Benefits of Arjuna Tree: भारत में कई ऐसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जिनमें औषधीय गुणों का भंडार होता है. इन चीजों का इस्तेमाल सदियों से कई तरह की बीमारियों के उपचार के लिए किया जा रहा है. ऐसा ही अर्जुन का पेड़ है, जिसकी छाल को हार्ट के लिए वरदान माना जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि अर्जुन की छाल में संभावित कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट होते हैं. हालांकि यह एक आयुर्वेदिक उपचार है, जिसका उल्लेख चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अस्टांग हृदयम सहित कई प्राचीन भारतीय औषधीय ग्रंथों में किया गया है. माना जाता है कि सदियों पहले अर्जुन की छाल के पाउडर का इस्तेमाल हार्ट डिजीज के इलाज के रूप में किया गया था. आज आपको बताएंगे कि मेडिकल रिसर्च में अर्जुन की छाल के कौन से फायदे सामने आए हैं.

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के अनुसार अर्जुन के पेड़ को वैज्ञानिक भाषा में टर्मिनलिया अर्जुन (Terminalia Arjuna) कहा जाता है. आमतौर पर इसे अर्जुन के नाम से जाना जाता है. इस पेड़ की छाल के काढ़े का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों से सीने में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर और डिस्लिपिडेमिया के लिए किया जा रहा है. कई मॉडर्न रिसर्च में यह पता चला है कि अर्जुन की छाल में एंटी-इस्केमिक, एंटीऑक्सिडेंट, हाइपोलिपिडेमिक और एंटीथेरोजेनिक गुण पाए जाते हैं. इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीने से बड़े फायदे मिल सकते हैं.

शोधकर्ताओं की मानें तो अर्जुन की छाल में ट्राइटरपेनोइड्स, β-सिटोस्टेरॉल, फ्लेवोनोइड्स और ग्लाइकोसाइड्स जैसे असरदार फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स होते हैं. इसमें पाए जाने वाले ट्राइटरपेनोइड्स और फ्लेवोनोइड्स को हार्ट हेल्थ के लिए बेहतर माना जाता है. अर्जुन की छाल को दवा के तौर पर इस्तेमाल करने से इस्केमिक कार्डियोमायोपैथी पर सकारात्मक असर हो सकता है. इस छाल को एनजाइना पेक्टोरिस, हाई ब्लड प्रेशर और डिस्लिपिडेमिया में काफी उपयोगी पाया गया है, खास बात यह है कि अभी तक अर्जुन थेरेपी से कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. इस बारे में ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.

जानकारों की मानें तो अर्जुन की छाल को फ्रैक्चर, अल्सर, ल्यूकोरिया, डायबिटीज, एनीमिया, कार्डियोपैथी और सिरोसिस में उपयोगी माना जाता है. तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के पारंपरिक चिकित्सक छाल के पाउडर को पानी में उबालते हैं और इसे सूंघने से सिरदर्द ठीक होता है और दांतों के कीड़े मर जाते हैं. केरल की मालाबार जनजाति द्वारा ताजी पत्तियों के रस का उपयोग कान के दर्द के इलाज के लिए और छाल के पाउडर का उपयोग हृदय रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में रहने वाले आदिवासी यूरिन में ब्लड की समस्या से निजात पाने के लिए इस छाल का उपयोग करते हैं.

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Tags: Health, Heart Disease, Lifestyle, Trending news

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