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आशीष कुमार/पश्चिम चंपारण: हमारे चारों तरफ औषधीय पेड़-पौधों का अंबार है, लेकिन जानकारी के अभाव में हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं. कुछ प्राकृतिक औषधियां ऐसी होती हैं, जिनके इस्तेमाल से सर्दी खांसी जैसी साधारण समस्याओं का समाधान किया जाता है. हालांकि कुछ औषधियां ऐसी भी होती हैं, जिनके इस्तेमाल से दर्जनों गंभीर समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. कुचला भी एक ऐसा ही औषधीय पौधा है. जिसके फलों के बीज का इस्तेमाल दर्जनों गंभीर बीमारियों में किया जाता है.
पश्चिम चंपारण के पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे ने बताया कि कुचला एक सदाबहार पौधा है. सबसे अधिक इस्तेमाल इसके बीज का होता है. यह गंध में तीखा और स्वाद कड़वा होता है. आयुर्वेद की मानें तो कुचला आंतों की गतिशीलता के साथ-साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कार्यों को बढ़ाकर भूख में सुधार करता है. साथ ही अस्थमा, कब्ज, पेट की सूजन, माइग्रेन, डायबिटीज, दर्द से राहत, एलर्जी, बुखार और शारीरिक कमजोरी को भी जड़ से दूर कर सकता है. अंग्रेजी में इसे नक्स वेमिका (Nux Vomica) कहा जाता है.
दर्द से दिलाता है राहत, एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर
आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे के मुताबिक, रिसर्च में बताया गया है कि कुचला के पत्तों के अर्क का इस्तेमाल करके शरीर में होने वाले दर्द से राहत पायी जा सकती है. दरअसल कुचला के पत्तों में एनाल्जेसिक या दर्द निवारक गुण होता है. वहीं, होम्योपैथिक दवाइयों में इसकी पत्तियों का ही नहीं बल्कि बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही बताया कि कुचला में एंटीऑक्सीडेंट गुण भरपूर होते हैं. रिसर्च के मुताबिक, कुचला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण कई समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं.
कुचला के फायदे (Kuchala Benefits or Nux Vomica)
आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक, कुचला के इस्तेमाल से इन्फ्लूएंजा या फ्लू और वायरस से होने वाली परेशानियों को भी कम किया जा सकता है. रिसर्च में देखा गया है कि कुचला के पौधे के तने की छाल से तैयार अर्क फ्लू से लड़ने में असरदार होता है. साथ ही भुवनेश पांडे ने बताया कि इसका इस्तेमाल अनिद्रा, एलर्जी, बुखार, हाथ या पैर में सुन्नता, पाचन संबंधी समस्याएं (जैसे- मतली, उल्टी, कब्ज ), सिरदर्द और माइग्रेन, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, तनाव, पीठ दर्द, मासिक धर्म की समस्या और पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करने में किया जाता है.
सीधे न करें इस्तेमाल, विषैला होता है इसका बीज
पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे ने बताया कि बिना शोधन के इसका इस्तेमाल शरीर के लिए विषाक्त हो सकता है. कुचला के फल एवं बीज विषैले होते हैं, इसलिए औषधि निर्माण से पूर्व इसे शुद्ध किया जाता है. शोधन हेतु कुचला के बीजों को कपड़े की पोटली में गाय के दूध के साथ पका कर करीब तीन घंटे तक शुद्ध किया जाता है. फिर इसे एक सप्ताह तक रोजाना ताजे गोमूत्र में रख कर शोधन किया जाता है. आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सीधे तौर पर कभी नहीं होता बल्कि अलग-अलग रूप में किया जाता है. इसमें मौजूद केमिकल जहर के समान होते हैं. इसलिए यदि इसका सेवन सीधे किया जाए, तो व्यक्ति को नुकसान होने का खतरा होता है. यही कारण है कि कुछ लोग इसे पॉइजन नट्स भी कहते हैं. इसके इस्तेमाल से पूर्व आयुर्वेदाचार्य की सलाह अति आवश्यक है.
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Tags: Ayurveda Doctors, Champaran news, Diabetes, Health News, Local18
FIRST PUBLISHED : December 12, 2023, 11:00 IST
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