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कम उम्र के युवा क्यों रहे हैं अर्थराइटिस के शिकार? डॉक्टर से जानिए कारण और इसका इलाज

कम उम्र के युवा क्यों रहे हैं अर्थराइटिस के शिकार? डॉक्टर से जानिए कारण और इसका इलाज

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हिना आज़मी/ देहरादून. बढ़ती उम्र में अक्सर लोग अर्थराइटिस की समस्या के शिकार हो जाते हैं. किसी व्यक्ति को अर्थराइटिस होने पर हड्डियों और जोड़ों में सूजन, दर्द और स्टिफनेस आ जाती है. कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है. आजकल ये समस्या इतनी आम हो गई है कि कम उम्र के लोगों में भी यह देखने को मिल रही है.
देहरादून के होम्योपैथिक अर्थराइटिस रोग के विशेषज्ञ डॉ. सिराज सिद्दीकी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि अर्थराइटिस के क़ई प्रकार होते हैं. जब व्यक्ति के शरीर के किसी एक जोड़ में दर्द होता है, तो उसे मोनो अर्थराइटिस जबकि क़ई जोड़ों जैसे घुटनों और कोहनी में होता है, तो उसे पॉली अर्थराइटिस कहा जाता है. वहीं बढ़ती उम्र में कैल्शियम की कमी, असंतुलित हार्माेन और डाइट में गड़बड़ी के चलते लोग ऑस्टियो अर्थराइटिस के शिकार होते हैं. कई लोग दिन में 10 हजार से ज्यादा कदम चलते हैं, तो वह भी इसके शिकार हो सकते हैं.

वहीं इसका दूसरा प्रकार है रूमेटाइड अर्थराइटिस. एंटी सीसीपी और आरएचएफ की जांच के बाद इसका पता चल पाता है. इसमें अगर आपके एक हाथ के जोड़ में दर्द है, तो दूसरे में भी होगा. क्योंकि इसमें सिमेट्रिकल ज्वॉइंट पर असर पड़ता है. ऑस्टियो अर्थराइटिस सही डाइट और दवाओं के साथ एक्सरसाइज से ठीक हो जाता है. यूरिक एसिड के बढ़ने से एक अलग तरह का अर्थराइटिस होता है, जिसे हम गाउट के नाम से जानते हैं. इसमें यूरिक एसिड की क्रिस्टल बनाकर भारी होकर पैरों में चले जाते हैं. जिससे मरीज के पैर के अंगूठे में सूजन, दर्द और लालपन आ सकता है. कुछ लोगों को यूरिक एसिड बढ़ने से पूरे शरीर में दर्द और सर दर्द भी हो सकता है. इसके अलावा आजकल वायरल फीवर का मौसम चल रहा है. क़ई मामलों में देखा गया है कि वायरल जैसी बीमारी से बाहर निकलने के बाद लोगों को पोस्ट वायरल अर्थराइटिस हो जाता है.

कैसे मिल सकती है अर्थराइटिस मरीजों को राहत

अगर आप अर्थराइटिस की बीमारी से बचना चाहते हैं, तो इन लक्षणों को देखकर तुरंत अस्पताल पहुंचंे, सही डाइट लीजिए जिसमें कैल्शियम युक्त पदार्थ शामिल हो. वहीं ऐसा काम न करें जिससे जोड़ों पर जोर पड़े. अगर आप पहले से ही इस बीमारी से जूझ रहे हैं तो नियमित रूप से दवाइयां लीजिए, आप मॉडरेट लेवल एक्टिविटी पर कम करें. इसका मतलब न ही आप ज्यादा वर्कआउट करें और ना ही जोड़ों को बैठकर उन्हें टिकने दंे. एक्सरसाइज करके उन्हें चलने दंे. इसके अलावा मोटे अनाज, गोभी, कद्दू, पालक, बैंगन और मटर आदि का सेवन न करें.

Tags: Health tips, Hindi news, Local18

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