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सत्यम कुमार/भागलपुर. एचआईवी एड्स, एक जानलेवा बीमारी, मानवीय प्रतिरक्षा अपूर्णता विषाणु संक्रमण के परिणामस्वरूप होती है. इसका पूर्ण उपचार अब तक संभव नहीं है और यह एक लाइलाज बीमारी के रूप में जानी जाती है. एड्स के होने के बाद, मरीजों के मन में मौत का डर बना रहता है, क्योंकि एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है और शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ने में कमजोर हो जाता है. विहान केयर एंड सपोर्ट संस्था एक संगठन है जो एड्स संक्रमित लोगों को नए जीवन के लिए साहस और समर्थन प्रदान कर रही है. इससे एड्स संक्रमित मरीजों को नया जीवन मिल रहा है.
एचआईवी मरीज भी अपना परिवार बसा सके
यह संस्था भागलपुर जिले में 2013 से एड्स संक्रमित मरीजों के लिए सेवाएं प्रदान कर रही है. संस्था की कर्मी, पूजा कुमारी, बताती हैं कि एचआईवी एड्स के साथ निपटने का एकमात्र उपाय रोकथाम है. एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद, मरीजों को मौत का डर हमेशा सताता है, और इस संस्था ने इस समस्या का सामना करने के लिए प्रयासरत है. पूजा कुमारी ने बताया कि संस्था लगातार कोशिश कर रही है कि एचआईवी संक्रमित मरीज भी अपना परिवार बना सकें.
पॉजिटिव महिला भी देती है स्वस्थ बच्चे को जन्म
विहान संस्था का मुख्य उद्देश्य पॉजिटिव मरीजों को प्रेरित करना है, और इस साल भी संस्था ने दो शादियां कराई हैं, जहां दोनों पॉजिटिव मरीजों ने एक नया जीवन बसाने का निर्णय लिया. इसके पश्चात, उनकी शादी मंदिर में संपन्न कराई गई. पूजा ने बताया कि दोनों मरीजों के पॉजिटिवता के बावजूद, बच्चे की पैदाइश मां पर निर्भर करती है. उन्होंने बताया कि अगर मां दवाई लेती है, तो नए जन्मशील बच्चे का निर्माण होता है, जिसमें नेगेटिवता की संभावना 90% होती है, जबकि अगर मां दवाई नहीं लेती है, तो पॉजिटिवता की संभावना होती है. उन्होंने इस बारे में जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का उदाहरण दिया, जहां इस साल 22 एचआईवी संक्रमित महिलाएं स्वस्थ बच्चों को जन्म देने में सफल रहीं हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 3, 2023, 12:53 IST
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