DMCA.com Protection Status Controversy: राहुल द्रविड़ ने जब पूरा नहीं होने दिया सचिन तेंदुलकर का दोहरा शतक, तो कैसे दिया मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने जवाब – News Market

Controversy: राहुल द्रविड़ ने जब पूरा नहीं होने दिया सचिन तेंदुलकर का दोहरा शतक, तो कैसे दिया मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने जवाब

Controversy: राहुल द्रविड़ ने जब पूरा नहीं होने दिया सचिन तेंदुलकर का दोहरा शतक, तो कैसे दिया मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने जवाब

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हाइलाइट्स

सचिन तेंदुलकर के खेल जीवन में एक बार ऐसा पल आया जब वह गुस्से में तमतमा गए.
तेंदुलकर जब 194 रन पर खेल रहे थे तभी राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित करने का फैसला लिया.
उन्होंने कहा, ‘पारी घोषित होने से मैं सदमे में था क्योंकि इसमें कोई तुक नजर नहीं आ रहा था.’

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) अपने प्रशंसकों के लिए ‘क्रिकेट का भगवान’ थे. उनकी इस छवि को बनाने के लिए उनके व्यवहार की भी भूमिका अहम थी. सचिन तेंदुलकर ने कभी अपने लिए क्रिकेट नहीं खेला. वह हमेशा ही अपनी टीम के लिए या उससे भी ज्यादा वह अपने देश के लिए खेले. अपने ढाई दशक लंबे करियर में उन्होंने कभी भी गुस्से में आकर किसी के लिए कोई बयान नहीं दिया. अगर किसी ने उनके खिलाफ कोई बयानबाजी भी की तो उन्होंने उसका जवाब जुबान से देने के बजाय अपने बल्ले से ही दिया. उनके खेल जीवन में एक बार ऐसा पल आया जब वह गुस्से में तमतमा गए.  

यह वाकया 2004 के पाकिस्तान दौरे का है. भारत और पाकिस्तान मुल्तान में पहले टेस्ट मैच में आमने-सामने थे. उस टेस्ट में सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भारत के लिए पहला तिहरा शतक जड़कर कीर्तिमान बनाया था. दूसरे दिन के खेल में सचिन तेंदुलकर भी अपने दोहरे शतक के करीब थे. जब उऩ्हें इस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए केवल छह रन की दरकार थी, तभी  कार्यवाहक कप्तान राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) ने पारी घोषित करने का फैसला किया. सचिन तेंदुलकर इस घटना से इस कदर आग बबूला हो गए कि उन्होंने राहुल द्रविड़ को खरी खोटी सुना दी.

क्या था पूरा मामला
भारत मुल्तान टेस्ट के दूसरे दिन टी ब्रेक के समय तक 4 विकेट पर 588 रन बना चुका था. सचिन 165 और युवराज सिंह 11 रन पर नाबाद थे. अपनी ऑटोबायोग्राफी के मुताबिक सचिन तेंदुलकर कहते हैं, ‘टी ब्रेक के दौरान टीम मीटिंग में फैसला हुआ था कि पाकिस्तान को कम से कम एक घंटे बैटिंग करने का मौका देना है. इसलिए जब दिन में 15 ओवर का खेल बचेगा तब पारी घोषित की जाएगी. लेकिन टी ब्रेक के बाद अभी आधे घंटे ही बीते थे कि 12वें खिलाड़ी रमेश पोवार आए और हमसे तेज खेलने को कहा. जब मैं 194 रन पर था, तब पोवार फिर आए और कहा कि मुझे इसी ओवर में दोहरा शतक पूरा करना चाहिए. मैं हैरान था क्योंकि मेरे हिसाब से हमें अभी दो ओवर खेलने थे, जिसमें मुझे छह रन बनाने थे. खैर ऐसा नहीं हुआ. जिस ओवर में मुझे दोहरा शतक पूरा करने को कहा गया था, उसकी पहली चार गेंदें युवराज ने खेलीं और पांचवीं पर वह आउट हो गए. इसके साथ ही पारी समाप्ति की घोषणा कर दी गई.’ भारत का स्कोर था- 5 विकेट के नुकसान पर 675 रन. भारत ने यह मैच पारी व 51 रन के अंतर से जीता था.

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 पारी घोषित करने का कोई नहीं था तुक
सचिन तेंदुलकर ने भी अपना गुस्सा नहीं छुपाया. उन्होंने इस बात का जिक्र अपनी ऑटोबायग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ (Playing It My Way) में किया है. सचिन लिखते हैं, ‘पारी घोषित होने से मैं सदमे में था क्योंकि इसमें कोई तुक नजर नहीं आ रहा था. निराश और नाराज मानसिकता के साथ मैं ड्रेसिंग रूम पहुंचा. मैंने काफी देर तक बैटिंग की थी. इसलिए कोच जॉन राइट से कुछ देर आराम करने के बाद फील्डिंग के लिए जाने की अनुमति मांगी. उन्होंने हां कर दिया. इसके बाद टीम फील्डिंग करने उतर गई.’

राइट ने माफी मांगी, गांगुली ने अफसोस जताया
सचिन आगे लिखते हैं, “मैं कुछ देर बाद बाथरूम में चेहरा धो रहा था. तभी जॉन राइट आए. वह माफी मांगने लगे. उन्होंने कहा कि इस फैसले में उनका हाथ नहीं था.” इस मैच में टीम के नियमित कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) चोट के कारण नहीं खेल रहे थे. सचिन के मुताबिक, “जॉन के बाद सौरव मेरे पास आए. उन्होंने कहा कि जो हुआ, उस पर उन्हें बहुत अफसोस है. सौरव ने यह भी कहा कि पारी घोषित करना उनका फैसला नहीं है.”

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अगली सुबह बात करने आए द्रविड़
सचिन तेंदुलकर बताते हैं, “अगली सुबह राहुल मेरे पास आए. राहुल ने मुझसे कहा कि उन्होंने सुना है कि मैं विचलित हूं. मैंने कहा कि यह सही है और इसे छिपाने का कोई तुक नहीं है. मैंने उनसे पूछा कि जो योजना बनी थी, उसके मुताबिक हमें एक ओवर और बैटिंग करनी थी, फिर पहले पारी घोषित क्यों की गई. उन्होंने कहा कि यह टीम हित में लिया गया फैसला है. हम जीत के लिए खेल रहे हैं.”

याद दिलाया सिडनी टेस्ट
सचिन के मुताबिक उन्होंने राहुल द्रविड़ को ऐसे ही एक मैच की याद दिलाई, जब कप्तान सौरव गांगुली पारी घोषित करना चाह रहे थे और मैदान पर संदेश भेज रहे थे, लेकिन वह खुद बैटिंग करते रहे. सचिन लिखते हैं, “मैंने राहुल से कहा कि वह जो फौलादी संकल्प अभी दिखा रहे हैं, अगर उन्होंने सिडनी टेस्ट में भी ऐसा किया होता तो शायद रिजल्ट कुछ और होता. राहुल ने इस पर कुछ नहीं कहा और बस यही बोले कि तुम्हें दोहरा शतक बनाने के और मौके मिलेंगे. इस पर मैंने असहमत होकर कहा कि ऐसा नहीं होगा. तब मुझे शून्य से शुरू करना होगा, ना कि मैं अपनी पारी 194 से शुरू करूंगा.”

आज भी उठते हैं सवाल
राहुल द्रविड़ के इस फैसले पर मीडिया, फैन्स और एक्सपर्ट सभी ने सवाल उठाए. राहुल द्रविड़ को फैंस ने स्वार्थी तक कह डाला. संजय मांजरेकर जैसे पूर्व क्रिकेटरों ने राहुल के फैसले को साहसिक करार दिया. लेकिन सचिन के प्रशंसकों का साफ कहना था कि राहुल का फैसला गलत था. यदि सचिन को दोहरा शतक पूरा करने दिया जाता तो मैच के नतीजे पर शायद ही कोई फर्क पड़ता. इस घटना को लगभग 20 साल होने को आए, लेकिन फिर भी राहुल द्रविड़ के उस फैसले पर आज भी सवाल खड़े किए जाते हैं. सचिन तेंदुलकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस बात को लेकर निराशा जताई थी. हालांकि, बाद में दोनों ने इस मसले को सुलझा लिया था.

Tags: Controversy, Cricket news, India Vs Pakistan, Rahul Dravid, Sachin tendulkar

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