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मिल्खा-पेस-सिंधु… खिलाड़ी जिन्‍होंने पिता से अलग खेल चुनकर लहराया परचम

मिल्खा-पेस-सिंधु... खिलाड़ी जिन्‍होंने पिता से अलग खेल चुनकर लहराया परचम

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नई दिल्‍ली. आम धारणा है कि पिता के पेशे को उसकी संतान भी चुनती है. ऐसे कई उदाहरण हैं जब किसी राजनेता के बेटे ने राजनीति को करियर के तौर पर चुना, खिलाड़ी के बेटे ने खेल या फिर बिजनेसमैन के बेटे ने बिजनेस को करियर के रूप में अपनाया. सुनील गावस्‍कर, लाला अमरनाथ और वीनू मांकड़ जैसे पूर्व क्रिकेटरों के बेटों ने क्रिकेट में ही भारत का प्रतिन‍िधित्‍व किया है लेकिन कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं जिनकी संतानों ने खेल में करियर तो बनाया लेकिन पिता से अलग खेल चुना और इसमें शोहरत हासिल की.

युवा वर्ग आज किसी खेल में करियर बनाने के दौरान अपना और परिवार का भविष्‍य  सुरक्षित करना चाहता है. क्रिकेट भारत में न सिर्फ बेहद लोकप्रिय है बल्कि इसमें ग्‍लैमर और पैसा भी दूसरे खेलों से ज्‍यादा है. ऐसे में इस खेल को ही चुनने वालों की संख्‍या अधिक है. इसके अलावा टेनिस और बैडमिंटन जैसे इंडिविजुअल खेल भी पसंद बन रहे हैं.

नजर डालते हैं ऐसे प्‍लेयर्स पर, जिन्‍होंने पिता से अलग खेल चुना और देश का झंडा बुलंद किया.

वेस पेस और लिएंडर पेस
डॉ. वेस पेस (Vece Paes) को 21 के सदी के खेलप्रेमी भले ही टेनिस स्‍टार लिएंडर पेस के पिता के तौर पर जानते हों लेकिन उनकी पहचान केवल इतनी ही नहीं है. वेस भारतीय हॉकी टीम के मेंबर रहे हैं, वे 1972 के म्‍यूनिख ओलंपिक में ब्रॉन्‍ज मेडल जीतने वाले भारतीय दल का हिस्‍सा थे. मिडफील्‍डर की हैसियत से खेले वेस स्‍पोर्ट्स मेडिसिन एक्‍सपर्ट भी हैं. वे कई स्‍पोर्ट्स फेडरेशन में डॉक्‍टर के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं. लिएंडर की मां जेनिफर भी बॉस्‍केटबॉल में भारत की ओर से खेल चुकी हैं.

वेस के बेटे लिएंडर पेस (Leander Paes) ने टेनिस को करियर बनाया और पिता की तरह 1996 के अटलांटा ओलंपिक में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता. लिएंडर भारतीय टेनिस का बड़ा चेहरा माने जाते हैं. उन्‍होंने डेविस कप में भारत के लिए कई बेहतरीन जीत हासिल कीं. लिएंडर यूएस ओपन और विंबलडन का जूनियर खिताब भी जीत चुके हैं. मेंस डबल्‍स वर्ग में उन्‍होंने 8 ग्रैंडस्‍लैम और मिक्‍स्‍ड डबल्‍स वर्ग के 10 ग्रैंडस्‍लैम खिताब जीते हैं. लिएंडर अपने समय के विश्‍व टेनिस के कई शीर्ष प्‍लेयर्स को शिकस्‍त दे चुके हैं.

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मिल्‍खा सिंह और जीव मिल्‍खा सिंह

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‘उड़न सिख’ कहे जाने वाले मिल्‍खा सिंह (Milkha Singh) देश में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. लंबे अरसे तक उन्‍हें देश का सर्वश्रेष्‍ठ पुरुष एथलीट माना जाता रहा. एथलेटिक्‍स में उन्‍होंने भारत को विश्‍व स्‍तर में पहचान दिलाई. ओलंपिक और एशियाई खेलों में उन्‍होंने भारत का प्रतिनिधित्‍व किया. एशियाई खेलों में जहां उन्‍होंने भारत के लिए गोल्‍ड जीते वहीं 1960 के रोम ओलंपिक में बारीक अंतर से मेडल जीतने से चूक गए थे.इस बेहतरीन एथलीट के जीवन पर ‘भाग मिल्‍खा भाग’ फिल्‍म भी बन चुकी है.

स्‍वर्गीय मिल्‍खा सिंह के बेटे जीव (Jeev Milkha Singh) ने गोल्‍फ को खेल के रूप में चुना और सफलता हासिल की. 1998 में यूरोपियन टूर में खेलने वाले वे पहले भारतीय गोल्‍फर बने. जीव ने कई खिताब जीते जिसमें यूरोपियन टूर के वोल्‍वोस चाइना ओपन, वोल्‍वो मास्‍टर्स, बैंक ऑस्‍ट्रेलिया गोल्‍फ ओपन और एवरडीन एसेट मैनेजमेंट स्‍कॉटिश ओपन शामिल हैं. वर्ल्‍ड रैंकिंग में टॉप 100 में स्‍थान बनाने वाले वे देश के पहले गोल्‍फर रहे.

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पीवी रमन्‍ना और पीवी सिंधु 

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भारत की बैडमिंटन स्‍टार पुसारला वेंकट सिंधु (PV Sindhu)के पिता पीवी रमन्‍ना (PV Ramana) और मां विजया (P Vijaya) भी खिलाड़ी रहे हैं. विजया वालीबॉल की राष्‍ट्रीय स्‍तर की खिलाड़ी रहीं वही पिता रमन्‍ना इसी खेल की भारतीय टीम का हिस्‍सा रहे. 1986 के एशियन गेम्‍स में ब्रॉन्‍ज जीतने वाली भारतीय वॉलीबॉल टीम में रमन्‍ना शामिल थे.

प्‍लेयर माता-पिता की होनहार बेटी सिंधु ने बैडमिंटन को करियर के तौर पर चुना. वे इस समय देश की शीर्ष महिला शटलर हैं. सिंधु ने कई अहम टूर्नामेंट में सफलता हासिल कर देश का नाम ऊंचा किया है. सिंधु वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में गोल्‍ड जीतने के अलावा ओलंपिक में दो मेडल (एक सिल्‍वर और एक ब्रॉन्‍ज) हासिल कर चुकी हैं. वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में दो सिल्‍वर और दो ब्रॉन्‍ज जीतने वाली सिंधु कॉमनवेल्‍थ गेम में भी दो गोल्‍ड जीत चुकी हैं.

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टीसी योहानन और टीनू योहानन
टीसी योहानन (TC Yohannan)1970 के दशक में देश के शीर्ष लांग जंपर रहे हैं. 1974 के तेहरान एशियन गेम्‍स में 8.07 मीटर की छलांग लगाकर उन्‍होंने लांग जंप का गोल्‍ड जीता था. आठ मीटर से अधिक दूरी की जंप लगाने वाले वे पहले एशियाई एथलीट थे. उनका यह रिकॉर्ड करीब तीन दशक तक रहा. केरल के टीसी योहानन ने 1976 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था.

टीसी योहानन के बेटे टीनू (Tinu Yohannan) ने क्रिकेट चुना और तेज गेंदबाज के तौर पर भारत के लिए खेले. फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट के 59 मैचों में 145 विकेट लेने वाले टीनू हालांकि तीन टेस्‍ट और तीन वनडे ही खेल सके. टेस्‍ट और वनडे दोनों में ही पांच-पांच विकेट उन्‍होंने हासिल किए.

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वेणु उथप्‍पा और रॉबिन उथप्‍पा

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कर्नाटक के वेणु उथप्‍पा (Venu Uthappa) हॉकी में राज्‍य की टीम से खेल चुके हैं. बाद में उन्‍होंने इंटरनेशनल हॉकी मैचों में अंपायरिंग भी की. वेणु के बेटे रॉबिन (Robin Uthappa) ने क्रिकेट में करियर बनाया और 46 वनडे और 13 टी20 भारत की ओर से खेले. वनडे में 25.94 के औसत से 934 रन (छह अर्धशतक) और टी20I में 24.90 के औसत से 249 रन उन्‍होंने बनाए हैं.

वैसे, रॉबिन फुलबैक की हैसियत से जूनियर स्‍तर पर कर्नाटक के लिए हॉकी भी खेल चुके हैं. उन्‍होंने एक इंटरव्‍यू में बताया था. ‘कर्नाटक के लिए हॉकी खेलते हुए मुझे लगा कि पिता का इस खेल का बैकग्राउंड होने के कारण मेरे लिए सिलेक्‍शन की राह आसान रहेगी. मैं ऐसा नहीं चाहता था. सिलेक्‍शन ट्रायल में मुझसे भी बेहतर खिलाड़ी पहुंचे थे. उनका चयन नहीं हुआ लेकिन मुझे स्‍टेंडबॉय के तौर पर चुन लिया गया. मैं जिंदगी में कुछ भी आसानी से नहीं बल्कि अपनी काबलियत से हासिल करना चाहता था. इस कारण  मैंने क्रिकेट में करियर बनाने का फैसला किया.’

Tags: Leander Paes, Milkha Singh, Pv sindhu, Robin uthappa

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