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रिस्क वाले लोगों के लिए आज भी HIV/ AIDS है खतरा, 5 लक्षण दिखें तो तुरंत भागें डॉक्टर के पास

रिस्क वाले लोगों के लिए आज भी HIV/ AIDS है खतरा, 5 लक्षण दिखें तो तुरंत भागें डॉक्टर के पास

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Sign and Symptoms of HIV-AIDS: एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस (human immunodeficiency virus) है. एचआईवी वायरस के कारण इंसान को एचआईवी-एड्स होता है. अगर एड्स का शुरुआती दौर में इलाज न किया जाए तो इससे मौत की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. एचआईवी का पूरी तरह इलाज है और दवा लेने से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति पूरी उम्र तक जी सकता है. लेकिन अगर इसके इलाज में देरी हो जाए तो मामला बिगड़ जाता है. एचआईवी से एड्स तक वायरस तीन चरणों गुजरता है. पहले चरण में एक्यूट एचआईवी इंफेक्शन होता है, दूसरे चरण में क्रोनिक एचआईवी इंफेक्शन होता है.

अगर इस चरण में इलाज न कराया जाए तो एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिसिएंसी सिंड्रोम हो जाता है. इसमें रोग प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह खत्म हो जाती है और शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए सक्षम नहीं रह पाता है. लेकिन अगर शुरुआती दौर में लक्षणों को पहचान ली जाए और टेस्ट से पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अगर शुरुआत में इसका इलाज कराए तो जिंदगी भर उसे कोई तकलीफ नहीं होती है. इसके लिए कुछ लक्षणों को पहचानना जरूरी है.

एक्यूट एचआईवी के शुरुआती संकेत

एचआईवी फ्लू की तरह शरीर में आता है. इसे प्रकट होने में 2 से चार सप्ताह का समय लगता है. इसके बाद मामूली बुखार, सिर दर्द, मसल्स में पेन, रैशेज, गले में खराश, मुंह में छाले, गर्दन के पास निगलने वाली नली में सूजन, डायरिया, वजन में कमी, कफ और रात में पसीना जैसे संकेत दिख सकते हैं.

क्रोनिक एचआईवी के संकेत

एक्यूट एचआईवी के बाद क्रोनिक एचआईवी होता है. यानी वायरस शरीर के श्वेत रक्ति कोशिकाओं में पहुंच जाता है. हालांकि इस स्टेज में भी अधिकांश लोगों को उपर से कुछ कष्ट नहीं होता. शुरुआती लक्षण के बाद सारे लक्षण कमजोर पड़ने लगते हैं. इस स्टेज में अगर एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी दी जाती है तो वायरस कई सालों तक न्यूट्रल रहता है. कुछ लोगों में इस स्टेज में भी उपर के लक्षण ज्यादा दिख सकते हैं.

एचआईवी के संकेत

एचआईवी अवस्था में वायरस खुद को कई गुना बढ़ा लेता है और इम्यून सेल्स को नष्ट करने लगता है. इस स्टेज में हल्का-फुल्का लक्षण दिखते हैं. बुखार, थकान, निगलने वाले लिंफ में सूजन (लिंफ नोड का सूजना एचआईवी इंफेक्शन का पहला पुख्ता सबूत हो सकता है, इसमें जीभ पर संकेत दिखते हैं यानी जीभ पर हेयरी ल्यूकोप्लाकिया.), डायरिया, वेट लॉस, ओरल यीस्ट इंफेक्शन, निमोनिया आदि लक्षण दिखते हैं.

एड्स के लक्षण

अगर इन चरणों में एंटीरिट्रोवायल थेरीपी ली जाती है तो बीमारी पूरी तरह से कंट्रोल में रहती है लेकिन अगर इन तीन चरणों से वायरस आगे बढ़ता है तो यह एड्स में बदल जाता है जो बेहद घातक होता है. इसमें पसीना ज्यादा आना, तेज ठंड, क्रोनिक डायरिया, लिंफ नोड में सूजन, जीभ पर व्हाइट स्पॉट, बहुत अधिक थकान, कमजोरी, वेट लॉस, स्किन में रैशेज जैसे लक्षण दिखते हैं.

एचआईवी से कैसे बचें

अच्छी बात यह है कि आजकल पूरी दुनिया में यह बीमारी एचआईवी से आगे नहीं बढ़ती. यानी एचआईवी को एड्स में बदलने के लिए 8 से 10 साल का वक्त लगता है. इसलिए एचआईवी की पहचान होने के बाद इलाज अगर शुरू हो जाए तो मरीज की मौत को टाला जा सकता है. इन सबके अलावा एचआईवी के प्रति चौकन्ना रहकर इसे शरीर में घुसने से बचाया जा सकता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एचआईवी असुरक्षित फिजिकल रिलेशन, संक्रमित व्यक्ति के खून से संपर्क, संक्रमित मां के दूध से, प्री-सेमिनल फ्लूड, रेक्टल फ्लूड और वेजाइनल फ्लूड से फैलता है. इससे बचने के लिए हमेशा इन चीजों से बचना चाहिए. इसके लिए सुरक्षित संबंध (कंडोम और अन्य बैरियर मैथड), नियमित अंतराल पर एचआईवी की जांच और संक्रमित व्यक्ति के खून से किसी भी तरह से संपर्क को रोक कर एचआईवी से बचा जा सकता है. नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने भी एचआईवी से बचने के लिए इन नियमों का पालन करने को कहा है.

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Tags: Health, Health tips, Lifestyle

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