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Cancer in Indian Youth: भारत कैंसर के मामलों में कई देशों के पीछे छोड़ेते जा रहा है. इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि जो बीमारियां 50 साल के बाद होनी चाहिए वह भारत में 30-35 के बीच ही लगनी शुरू हो जाती है. अपोलो अस्पताल की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है जिसमें बताया गया है कि दुनिया के देशों में जहां कैंसर ज्यादा उम्र के लोगों में होता है वहीं भारत में बहुत कम उम्र से लोगों में कैंसर होने लगा है. खासकर बड़े पैमाने पर युवा कैंसर के शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, कैंसर जैसी नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज जैसी बीमारियां भारतीय युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही हैं.
नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज का जोर
अपोलो अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में तेजी से कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं तीन में से हर एक भारतीय प्री-डायबेटिक है और 10 में से एक व्यक्ति प्री-हाइपरटेंशन के शिकार हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमूमन युवा मोटापे को ढो रहे हैं. मेंटल हेल्थ समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही है. यह सब हमारे देश की हर चीज पर असर कर रहा है. अगर युवा स्वस्थ्य नहीं रहेंगे तो हमारी अर्थव्यवस्था भी कमजोर होने लगेगी. पर इन सबके पीछे सबसे बड़ी वजह आज के युवाओं में मेंटल हेल्थ की समस्याएं जिसपर लोग ध्यान ही नहीं देते.
कम उम्र में बीमारियां शरीर में
अपोलो अस्पताल में प्रीवेंटिव हेल्थ की सीईओ डॉ. सथ्या श्रीराम ने न्यूज 18 को बताया कि हमें अपने देश की जनसंख्याकिय लाभांश पर गर्व है क्योंकि हमारी आबादी में अधिकांश हिस्सा युवाओं का है. लेकिन जिस तरह से युवाओं को कैंसर जैसी बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही हैं इससे भारत को इस लाभ से हाथ धोना पड़ेगा. इस बात से बेहद तकलीफ होती है कि जो बीमारी पहले ज्यादा उम्र के लोगों को होती थी, अब वह युवाओं को होने लगी है. डॉ. सथ्या श्रीराम ने बताया कि इन बीमारियों के पीछे अगर एक कारण सबसे ज्यादा जिम्मेदार है, तो वह है तनाव. तनाव के बाद एंग्जाइटी, मोटापा, थकान, नींद और स्टेमिना की कमी. ये सब फेक्टर लो प्रोडक्टिविटी के लिए जिम्मेदार है.
तनाव सबसे बड़ा विलेन
डॉ. सथ्या ने बताया कि 18 से 30 साल की उम्र के बीच 11 हजार लोगों से पूछताछ की गई तो इनमें से 80 प्रतिशत ने जीवन में तनाव की बात स्वीकार की. वहीं बेचैनी, परेशानी, निराशा, थकान, नींद की कमी और ताकत की कमी भी इन बीमारियों के लिए महत्वपूर्ण कारण बन रही है. उन्होंने कहा कि यदि तनाव क्रोनिक हो जाता है यानी हमेशा के लिए शरीर में बस जाता है तो यह शरीर के लिए सबसे बड़ा विलेन बन जाता है. हालांकि यदि आपका तनाव कम समय के लिए है तो इससे मोटिवेशन भी मिलता है और लोग अपने काम पर फोकस करते हैं लेकिन क्रोनिक स्ट्रैस कई तरह की मानसिक बीमारियों का जन्म देता है.
इन बीमारियों से कैसे बचा जाए
डॉ. सथ्या श्रीराम ने बताया कि कैंसर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी क्रोनिक बीमारियों से बचने का सबसे उत्तम तरीका यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग समय-समय पर सेहत की स्क्रीनिंग कराएं. यानी प्रीवेंटिव हेल्थ केयर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए लोगों में जागरूकता हो और लोग खुद अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक बनें. वह हर साल आवश्यक बीमारियों के लिए जांच कराते रहें. हालांकि अपने देश में जब तक बीमारी बढ़ती नहीं है तब तक जांच नहीं कराते. इसलिए एडवांस स्टेज में कैंसर का पता चलता है. विदेश में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं और समय-समय पर जांच कराते रहते हैं. डॉ. सथ्या ने बताया कि सरकार को भी प्रीवेंटिव हेल्थ पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. साथ कॉरपोरेट जगत को भी इस अभियान में शामिल होना चाहिए.
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Tags: Health, Health News, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : April 8, 2024, 09:25 IST
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