DMCA.com Protection Status गर्मी का देसी कोल्ड ड्रिंक,रेगिस्तान की लू में देता है ठंडक,शहरों में डिमांड – News Market

गर्मी का देसी कोल्ड ड्रिंक,रेगिस्तान की लू में देता है ठंडक,शहरों में डिमांड

गर्मी का देसी कोल्ड ड्रिंक,रेगिस्तान की लू में देता है ठंडक,शहरों में डिमांड

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रिपोर्ट-निखिल स्वामी
बीकानेर. गर्मी अपनी पूरी तपिश पर है. घर में हों या बाहर. मन ठंडा ठंडा कूल कूल मांग रहा है. शहरों में कुल्फी, आइसक्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक्स, शिकंजी और न जाने क्या-क्या. गर्मी में जो भी ठंडा मिल जाए सबकी डिमांड रहती है. लेकिन राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में जाएं तो वहां रेगिस्तान की गर्मी से बचने के लिए एक खास पेय का उपयोग लोग करते हैं. ये ग्रामीण पेय अब धीरे धीरे शहरों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं. ये है राजस्थान का देसी पेय राबड़ी. इसे आप घुटे हुए दूध की मीठी रबड़ी मत समझ लीजिएगा. बल्कि ये छाछ की नमकीन लस्सी जैसी होती है. राजस्थान में पूरे गर्मी के मौसम में इसकी ज़बरदस्त मांग रहती है.

छाछ और राबड़ी के व्यवसाय में सैकड़ों लोग लगे हुए हैं. ऐसे ही एक व्यवसायी सूरज कुमार बताते हैं अभी गर्मी में रोजाना 100 से 150 लोग छाछ और राबड़ी पीने के लिए आते हैं. यहां छाछ 20 रुपए में और राबड़ी 30 रुपए की मिलती है. राबड़ी एक दिन पहले बनाकर रखते हैं और छाछ तुरंत तैयार हो जाती है. यह छाछ और राबड़ी शरीर में शीतलता पहुंचाती हैं.

सेहत के लिए बेस्ट
ये राबड़ी बाजरे के आटे से तैयार की जाती है और सस्ती भी पड़ती है. सूरज बताते हैं गांवों में आज भी एक मटकी में छाछ, बाजरे का आटा, प्याज आदि के मेल से राबड़ी तैयार करके रखते हैं. सुबह होने पर रोटी के साथ छाछ में बनी राबड़ी का ही उपयोग करते हैं. घर में अगर कोई मेहमान आता है उसे भी रोटी और राबड़ी ही दी जाती थी. बाजरे की रोटी और राबड़ी का अच्छा संगम है जो सेहत की दृष्टि से भी लाभप्रद होती है.

लू से बचाती है राबड़ी
आयुर्वेदिक डॉक्टर अमित गहलोत ने बताया राबड़ी और छाछ पीकर गर्मी और लू से बचाव किया जा सकता है. राबड़ी गर्मी से तो बचाती ही है. साथ में एक स्वास्थ्य वर्धक का काम करती है. रात के समय बनाकर रखी हुई राबड़ी को किसान हों या ग्रामीण दिनभर उपभोग करते हैं और भीषण गर्मी में राहत महसूस करते हैं. ग्रामीण इलाके की बाजरे की राबड़ी अब शहरों में भी गर्मियों का शीतल पेय बनती जा रही है.

ऐसे बनती है राबड़ी
राबड़ी बनाने में बाजरे की घाट, नमक, छाछ, प्याज आदि की जरूरत होती है.  बाजरे का आटा इसके लिए सबसे अच्छा रहता है. आजकल जौ और गेहूं के आटे से भी लोग राबड़ी बनाने लगे हैं. जौ का आटा बहुत कम मिलता है. गांव की धापा ताई के अनुसार राबड़ी बनाने के लिए हांडी यानी मिट्टी से बना छोटी मटकी की जरूरत होती है. हांडी में बाजरे का आटा, नमक, प्याज छाछ में घोलकर धीमी आंच पर पकाते हैं. इसके अंदर बाजरा के कुछ दाने डाल देते हैं तो कुछ लोग चने की दाल भी डाल देते हैं. लंबे समय तक आंच पर पकने के बाद इसे आग से उतारकर रख देते हैं.

Tags: Bikaner news, Food diet, Food Recipe, Local18

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