DMCA.com Protection Status कोच द्रविड़ की सोच और भविष्य की राह कैसी होनी चाहिए? – News Market

कोच द्रविड़ की सोच और भविष्य की राह कैसी होनी चाहिए?

कोच द्रविड़ की सोच और भविष्य की राह कैसी होनी चाहिए?

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क्या राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के कोच बने रहेंगे? क्या बीसीसीआई द्रविड़ का कार्यकाल बढ़ाएगी? क्या द्रविड़ खुद चाहते हैं कि उनका कार्यकाल बढ़े? क्या बीसीसीआई अब भी द्रविड़ को लेकर दिलचस्पी दिखा रही है?

वर्ल्ड कप फाइनल ख़त्म होने के बाद ज़ाहिर सी बात है कि चर्चा के केंद्र में कप्तान रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज़ विराट कोहली हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट में हेड कोच राहुल द्रविड़ के भविष्य को लेकर भी तमाम तरह की अटकलें ज़ोरों पर हैं. दरअसल, द्रविड़ को ना तो एक नाकाम कोच कहा जा सकता है और ना ही एक कामयाब कोच (अगर ट्रॉफी जीतना ही आकलन का एकमात्र पैमाना हो तो) और यही बीसीसीआई के लिए कोई ठोस निर्णय लेने में बड़ा संदेह पैदा कर सकती है. और उससे भी अहम बात ये है कि द्रविड़ को काफी मान-सम्मान से अनुरोध करके बुलाया गया था और ये जिम्मेदारी दी गई थी और ऐसे में उचित शायद यही होगा कि अपने करियर को लेकर आखिरी फैसला खुद कोच ही करें.

अगर पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप की ही तरह टीम इंडिया सेमीफाइनल में औसत दर्जे का खेल दिखाते हुए बाहर हो जाती तो द्रविड़ खुद ही तुंरत इस्तीफा दे चुके होते और या फिर बोर्ड उन्हें फैंस की आलोचनाओं के दबाव में होता हुआ उनकी छुट्टी कर चुका होता. लेकिन, टीम इंडिया ना सिर्फ वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची बल्कि लगातार 10 मैच जीते जो ना सिर्फ इस टूर्नामेंट में उनका ऐतिहासिक खेल रहा बल्कि वनडे क्रिकेट के इतिहास में भी टीम ने कभी लगातार 10 मैच नहीं जीते थे. वैसे भी पारंपरिक तौर पर किसी भी वनडे वर्ल्ड कप ख़त्म होने के बाद हर टीम अगले वर्ल्ड कप की तैयारी में जुट जाया करती थी. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और टी20 वर्ल्ड कप के आयोजन के चलते चार साल वाला दौर कोच-कप्तान के लिए खत्म हो गया है. वैसे भी, द्रविड़ ने ये जिम्मेदारी सिर्फ 2 साल के लिए ही निभाई है जो नई सदी में किसी कोच के लिए अनिल कुंबले (2016-17) के बाद सबसे कम समय होगा. जॉन राइट ने 2000 से 2005, उसके बाद ग्रेग चैपल ने 2005 से 2007, गैरी कर्स्टन ने 2008 से 2011, डंकन फ्लैचर ने 2011 से 2015 और रवि शास्त्री ने 2017 से 2021 तक का कार्यकाल देखा. इस दौरान 2007-08 में लालचंद राजपूत, 2015-16 में शास्त्री, 2016 में संजय बांगर कुछ महीनो और साल के लिए अलग-अलग नामों से ( डायेरक्टर ऑफ क्रिकेट, मैनेजर, सहायक कोच, बल्लेबाजी कोच इत्यादि) टीम इंडिया के साथ जुड़े रहे.

वैसे अहमदाबाद में फाइनल ख़त्म होने के बाद प्रेस कांफ्रेस में जब द्रविड़ से हमारी मुलाकात हुई तो उसी कांफ्रेस में हमने उनसे साफ पूछा था कि भले ही 2027 टीम इंडिया के लिए एक लंबा वक्त है वर्ल्ड कप के सपने को फिर से पूरा करने का लेकिन अगले 6 मीहने बाद तो टी20 वर्ल्ड कप तो है ही. लेकिन, कोच ने इस सवाल को अपने चिर-परिचित अंदाज़ में दूसरे तरफ धकेल दिया था. ये सही है कि हर किसी को थोड़ा वक्त चाहिए कि इतने गंभीर मुद्दे पर सोच-समझकर एक ठोस राय बनायी जाय.

ये सच है कि शुरू में द्रविड़ कोचिंग की जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते थे क्योंकि इसके लिए टीम के साथ काफी यात्रा करनी पड़ती है. लेकिन, पिछले दो सालों में इस टीम इंडिया के साथ काफी वक्त गुज़ारने के बाद इस लेखक ने महसूस किया कि शायद पहली बार द्रविड़ इस भूमिका में काफी सहज महसूस कर रहे थे. हो सकता है इसमें कप्तान रोहित शर्मा के बिंदास रवैये का भी असर पड़ा हो और शायद एक बार फिर से रोहित शर्मा ही उनसे गुजारिश करें कि कुछ वक्त और टीम इंडिया के साथ निभाया जाय.

लेकिन, ये सिर्फ एक भावनात्मक लगाव के चलते नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट की मौजूदा हालात और चुनौतियों को देखकर लिया जाना चाहिए. टी20 वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया को 11 मैच इस फॉर्मेट में खेलने हैं. मौजूदा 5 तो वीवीएस लक्ष्मण की कोचिंग में चल ही रहे हैं और साउथ अफ्रीका के ख़िलाफ़ तीन और अगले साल जनवरी में अफ्गानिस्तान के खिलाफ तीन मैचों में भी लक्ष्मण ही इस भूमिका में नज़र आये. लेकिन, क्या लक्ष्मण को ही हेड कोच के तौर पर सबसे छोटे फॉर्मेट में भेजा जा सकता है? इस पर बीसीसाई का रुख़ फिलहाल साफ नहीं है. लेकिन, ये भी मुमकिन है. वैसे, अगर हार्दिक पंड्या चोटिल नहीं होते तो लक्ष्मण-पंड्या की जोड़ी पर बीसीसीआई रोहित-राहुल जैसा भरोसा दिखा सकती थी.

पंड्या की गैर-मौजूदगी में रोहित शर्मा के लिए एक बार फिर से टी20 के कप्तान के तौर पर वापसी के आसार बढ़े हैं. और चूंकि द्रविड़ के साथ उनका तालमेल शानदार रहा है तो एक बार फिर से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि शायद कुछ महीनों के लिए ही सही रोहित-राहुल की जोड़ी फिर से टीम इंडिया के लिए एक और आईसीसी ट्रॉफी जीतने के सपने देख सकती है.

देखा जाय तो एक आदर्श स्थिति में इस जोड़ी को 2025 चैंपियस ट्रॉफी तक मौका दिया जाना चाहिए क्योंकि तब इनका कार्यकाल भी 4 साल का हो चुका होता तो किसी भी कप्तान-कोच की काबिलित को जांचने के लिए एक ठीक-ठाक वक्त होता है. अगर ऐसा होता है तो इस जोड़ी के पास क्रिकेट के हर फॉर्मेट में एक आईसीसी ट्रॉफी जीतने का मौका मिल सकता है. लेकिन, ये तभी मुमकिन होगा जब कुछ दिनों के भीतर द्रविड़ के कापर्यकाल को लेकर सस्पेंस ख़्तम होगा.

Tags: BCCI, India vs Australia, Rahul Dravid, Team india

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