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देहरादून: महिलाओं को अक्सर हाइजीन का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. क्योंकि, थोड़ी सी लापरवाही से इंफेक्शन और फिर सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत हो सकती है. भारत में महिलाओं में दूसरा सबसे सामान्य कैंसर सर्वाइकल है. जागरूकता के अभाव में कुछ लक्षण इसके शुरुआत में ही नजर आते हैं. राजधानी देहरादून के दून अस्पताल में भी ऐसे कई मरीज आते हैं, जिनमें इस तरह के लक्षण नजर आते हैं. पहले ही स्टेज में इसकी पहचान कर इसका इलाज संभव है.
सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर रोग है, जिसमें महिला की मौत भी हो सकती है. सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय के मुंह पर होता है. इसकी मुख्य वजह ह्यूमन पेपिलोमावायरस है. यह वायरस सेक्सुअल एक्टिव होने वाली हर महिला में होता है.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज के कैंसर विभाग के एचओडी और कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ दौलत सिंह ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं में सफेद और बदबूदार पानी का आना, ब्लीडिंग का होना और कमर दर्द होना इसके सामान्य लक्षण हो सकते हैं. इसलिए समय-समय पर अपने शरीर की जांच कराते रहना चाहिए.
हाइजीन का रखें खास ख्याल
डॉ दौलत सिंह ने बताया कि महिलाओं को पर्सनल हाइजीन का खास ख्याल रखना चाहिए. कुछ महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पेड की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो गलत है. ऐसा करने से संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ता है. कम उम्र में जिन महिलाओं की शादी हुई हो या ज्यादा बच्चे हुए हो, तो इसका खतरा बढ़ जाता है. इससे बचाव के लिए 9 से 12 वर्ष की बच्चियों को सर्वाइकल वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है. ताकि, भविष्य में वह बची रहे. 40 से 45 साल की उम्र के बाद इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. एचपीवी के संक्रमण के बाद कैंसर बनने में करीब 15 साल लगते हैं. इस बीच शुरुआती स्टेज में स्क्रीनिंग और इलाज करवाने से मरीज की जान बचाई जा सकती है. दून अस्पताल के कैंसर विभाग की ओपीडी में कई तरह के कैंसर जुड़े मरीज आते हैं, जिनमें महिलाएं सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों के साथ भी पहुंचती हैं.
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